आरओ के नाम पर पिला रहे सबमर्सिबल का पानी

प्रतापगढ़ । शहर में गलीगली खुले आरओ प्लांट के संचालकलोगों को आरओ के नाम पर सबमर्सिबल का पानी पिला रहे हैं। शुद्ध पानी की प्रोसेसिंग में मानक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। न तो समय से फिल्टर बदलते हैं और न ही पानी की टंकी व जलपात्र की सुमचित सफाई की जाती हैइतना ही ज्यादातर प्लांटों में प्रशिक्षित लोग भी नहीं हैं। मजदूरों से पानी फिल्टर करवाया जा रहा है। इससे पानी की शुद्धता का मानक भी सही नहीं रह जाता। बीते कछ सालों में आरओ वाटर का धंधा तेजी से बढा है। गली-गली में आरओ प्लांट खुल गए हैं। घरों, दुकानों, स्कूल- कालेजों व कार्यालयों में नियमित आरओ का पानी मंगवाया जा रहा है। इतना ही नहीं सामूहिक भोज के कार्यक्रमों में भी आरओ वाटर की खुब मांग है। शहर के बेगमवार्ड, दहिलामऊ, मंकद्रूगंज, भैरापुर, अजीतनगर. सदर बाजार, पूर्वी सहोदरपुर, रानीगंज, लालगंज. कंडा. पट्टी, को मिलाकर करीब 30 से अधिक आरओ प्लांट संचालित किए जा रहे हैंजानकारों के मुताबिक करीब 40 हजार लीटर आरओ वाटर की खपत नियमित है। सबसे ज्यादा खपत शहर में है। अधिक आमदनी के फेर में वाटर फिल्टर प्रोसेसिंग के मानक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जानकारों की मानें तो मशीन को मेनटेन रखने के चक्कर में जिस मानक सेवाटर फिल्टरेशन करना चाहिए, उसका पालन नहीं होता। 12 एलएमपी की निर्धारित स्पीड के बजाए 16 से 18 एलएमपी स्पीड में पानी फिल्टर किया जा रहा है। इस स्पीड में मेन टंकी से पानी जब मेमोरिन मशीन में पहुंचता है तो जेडपंप से जिस अनुपात में प्रेशर होना चाहिए, वही नहीं हो पाता है। पानी निर्धारित समय से पहले ही आधा-अधरा फिल्टर होकर सीधे सप्लाई टैंक में चला जाता है। अपने फायदे के लिए प्लांट संचालक कम समय में ज्यादा पानी फिल्टर करने का प्रयास करते हैं। जो शद्धता के मानक पर खरा नहीं रहता। जानकारों की मानें तो 12 एलएमपी की स्पीड की सेटिंग कर वाटर को फिल्टर किया जाता है। इस स्पीड में एक घंटे में 800 लीटर पानी फिल्टर होता है। यह पानी लाभकारी तत्वों के साथ ही मानक के अनुरूप शुद्ध माना जाता है। ऐसे में शुद्ध पानी के नाम पर सबमर्सिबल का पानी बेचने का खेल किया जा रहा हैसमय से नहीं बदलते फिल्टर, टैंक की सफाई में भी लापरवाही पानी को शुद्ध करने में फिल्टर की अहम भूमिका होती है। निर्धारित समय पर इसे बदला जाता है। पानी की खपत के आंकड़े पर गौर करें तो एक प्लांट पर नियमित 1 हजार लीटर से अधिक पानी का शोधन होता है। हप्तेभर में करीब 8 हजार लीटर पानी शोधित होता है। नियमानुसार हप्ते में एक बार फिल्टर बदला जाना चाहिए। मगर प्लांट संचालक 15 से 20 हजार लीटर पानी के शोधन के बाद भी फिल्टर नहीं बदलते । नियमानुसार महीने में पांच बार फिल्टर बदलना चाहिए, इससे महीने में करीब 3000 से अधिक खर्च आएगा। अलबत्ता संचालक सस्ते व दोयम दर्ज के फिल्टर का इस्तेमाल करते हैं। सप्लाई टंकी की साफ-सफाई में भी लापरवाही पानी की टंकी सफाई में भी अनियमितता बरती जाती है। नियमानुसार टंकियों की सप्लाई छह माह में एक बार जरूर हो जानी चाहिए। मगर ऐसा नहीं होता है। छह माह की बात तो दूर टंकियों को सालों तक साफ नहीं किया जाता है।